पूर्व न्यायाधीशों ने महाभियोग प्रस्ताव को बताया ‘न्यायपालिका पर हमला’

मद्रास हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस जी. आर. स्वामीनाथन के खिलाफ संसद में विपक्षी सांसदों द्वारा लाए गए महाभियोग नोटिस का शुक्रवार को 56 पूर्व न्यायाधीशों ने कड़ा विरोध किया। पूर्व न्यायाधीशों ने एक खुला पत्र लिखकर इस कदम को न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर सीधा हमला करार..

पूर्व न्यायाधीशों ने महाभियोग प्रस्ताव को बताया ‘न्यायपालिका पर हमला’
13-12-2025 - 10:20 AM

नयी दिल्ली। मद्रास हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस जी. आर. स्वामीनाथन के खिलाफ संसद में विपक्षी सांसदों द्वारा लाए गए महाभियोग नोटिस का शुक्रवार को 56 पूर्व न्यायाधीशों ने कड़ा विरोध किया। पूर्व न्यायाधीशों ने एक खुला पत्र लिखकर इस कदम को न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर सीधा हमला करार दिया।

अपने बयान में पूर्व न्यायाधीशों ने महाभियोग की इस पहल को एक “बेहद दुस्साहसी प्रयास” बताते हुए कहा कि इसका उद्देश्य उन न्यायाधीशों को डराना और दबाव में लाना है, जो समाज के किसी विशेष वर्ग की वैचारिक या राजनीतिक अपेक्षाओं के अनुरूप फैसले नहीं देते।
बयान में कहा गया, हम, भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश तथा विभिन्न उच्च न्यायालयों के पूर्व मुख्य न्यायाधीश और न्यायाधीश, संसद के कुछ सदस्यों और कुछ वरिष्ठ अधिवक्ताओं द्वारा मद्रास हाईकोर्ट के माननीय न्यायाधीश जस्टिस जी. आर. स्वामीनाथन के खिलाफ महाभियोग चलाने के प्रयास पर गंभीर आपत्ति दर्ज करते हैं। यह उन न्यायाधीशों को डराने की एक खुली कोशिश है, जो किसी खास वर्ग की वैचारिक और राजनीतिक अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं चलते। यदि ऐसे प्रयास को आगे बढ़ने दिया गया, तो यह हमारे लोकतंत्र और न्यायपालिका की स्वतंत्रता की जड़ों पर सीधा प्रहार होगा। यहां तक कि यदि संसद सदस्यों द्वारा बताए गए कारणों को भी सतही तौर पर स्वीकार कर लिया जाए, तब भी वे इतने दुर्लभ, असाधारण और गंभीर संवैधानिक कदम—जैसे महाभियोग—को ठहराने के लिए पूरी तरह अपर्याप्त हैं।”

पूर्व न्यायाधीशों ने चेतावनी दी कि किसी कथित फैसले के आधार पर किसी न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू करने की अनुमति देना न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए गंभीर खतरा होगा।
उन्होंने कहा, महाभियोग व्यवस्था का मूल उद्देश्य न्यायपालिका की गरिमा और ईमानदारी की रक्षा करना है, न कि उसे दबाव, संकेत या प्रतिशोध का औजार बनाना। न्यायाधीशों को राजनीतिक अपेक्षाओं के अनुरूप फैसले देने के लिए हटाने की धमकी देना, एक संवैधानिक सुरक्षा को डराने-धमकाने के हथियार में बदल देना है। यह न केवल अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक है, बल्कि विधि के शासन की भावना के भी विरुद्ध है। एक कार्यरत उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को उसके न्यायिक कर्तव्य के निर्वहन के लिए महाभियोग के जरिए निशाना बनाना कोई अलग-थलग घटना नहीं है, बल्कि यह न्यायिक संस्था की गरिमा और स्वतंत्रता पर जारी हमले का हिस्सा है। आज निशाने पर एक न्यायाधीश है, कल पूरी संस्था हो सकती है।”

हस्ताक्षरकर्ताओं ने यह भी आरोप लगाया कि किसी कार्यरत उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग की कोशिश न्यायिक संस्थानों की गरिमा और स्वतंत्रता पर लगातार हो रहे हमले का हिस्सा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि न्यायाधीश केवल अपनी शपथ और भारत के संविधान के प्रति जवाबदेह होते हैं।

बयान में आगे कहा गया, हम इसलिए सभी संबंधित पक्षों—सभी दलों के सांसदों, अधिवक्ताओं, नागरिक समाज और आम नागरिकों—से अपील करते हैं कि वे इस कदम की स्पष्ट रूप से निंदा करें और इसे शुरुआत में ही रोकें। न्यायाधीशों को राजनीतिक दबाव या वैचारिक धमकी के बजाय अपनी शपथ और भारत के संविधान के प्रति जवाबदेह रहना चाहिए। सभी संवैधानिक हितधारकों का संदेश स्पष्ट और दृढ़ होना चाहिए: विधि के शासन से संचालित गणराज्य में फैसलों की परीक्षा अपील और कानूनी समीक्षा से होती है, न कि राजनीतिक असहमति के कारण महाभियोग की धमकी से।”

महाभियोग प्रस्ताव की पृष्ठभूमि
इससे पहले मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै पीठ ने पहाड़ी पर स्थित मंदिर में दीप प्रज्वलित करने का निर्देश दिया था। एक दक्षिणपंथी कार्यकर्ता द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस जी. आर. स्वामीनाथन ने राज्य प्रशासन को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया था कि पहाड़ी की चोटी पर पवित्र दीप जलाया जाए। हालांकि, सरकारी अधिकारियों का कहना था कि यह वर्षों से चली आ रही उस परंपरा के खिलाफ है, जिसके तहत पास स्थित दीप मंडपम में दीप प्रज्वलन किया जाता रहा है।

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THE NEWS THIKANA, संपादकीय डेस्क यह द न्यूजठिकाना डॉट कॉम की संपादकीय डेस्क है। डेस्क के संपादकीय सदस्यों का प्रयास रहता है कि अपने पाठकों को निष्पक्षता और निर्भीकता के साथ विभिन्न विषयों के सच्चे, सटीक, विश्वसनीय व सामयिक समाचारों के अलावाआवश्यक उल्लेखनीय विचारों को भी सही समय पर अवगत कराएं।