‘अगर शादी नहीं करना चाहते तो ठीक है, लेकिन…’: लिव-इन रिश्तों, परिवार और जनसंख्या पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने जानिये क्या कहा..

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को लिव-इन रिश्तों की आलोचना करते हुए कहा कि विवाह और परिवार भारतीय समाज की बुनियाद हैं और इन्हें व्यक्तिगत सुविधा या केवल शारीरिक संतुष्टि तक सीमित नहीं किया जा..

‘अगर शादी नहीं करना चाहते तो ठीक है, लेकिन…’: लिव-इन रिश्तों, परिवार और जनसंख्या पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने जानिये क्या कहा..
22-12-2025 - 09:24 AM

कोलकाता। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को लिव-इन रिश्तों की आलोचना करते हुए कहा कि विवाह और परिवार भारतीय समाज की बुनियाद हैं और इन्हें व्यक्तिगत सुविधा या केवल शारीरिक संतुष्टि तक सीमित नहीं किया जा सकता।

आरएसएस के शताब्दी समारोहों के तहत कोलकाता में आयोजित एक सार्वजनिक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि बिना प्रतिबद्धता के रिश्ते जिम्मेदारी लेने से बचने की मानसिकता को दर्शाते हैं। उन्होंने कहा, “अगर कोई जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है, तो यह ठीक नहीं है,” और जोड़ा कि परिवार वह प्राथमिक इकाई है जहां व्यक्ति समाज में रहना सीखता है।

भागवत ने जोर देकर कहा कि विवाह केवल एक निजी व्यवस्था नहीं, बल्कि एक सामाजिक संस्था है, जो सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं के संरक्षण से जुड़ी हुई है। उन्होंने कहा, “अगर कोई शादी नहीं करना चाहता, तो वह विकल्प मौजूद है—कोई संन्यास का मार्ग भी चुन सकता है।” लेकिन साथ ही उन्होंने सवाल उठाया, “यदि जिम्मेदारी और अनुशासन—दोनों से ही बचा जाए, तो समाज कैसे चलेगा?”

जनसंख्या से जुड़े मुद्दों पर बात करते हुए भागवत ने कहा कि परिवार के आकार पर निर्णय कठोर फार्मूलों के आधार पर थोपे जाने के बजाय परिवारों और समाज पर छोड़े जाने चाहिए। उन्होंने बताया कि डॉक्टरों, मनोवैज्ञानिकों और जनसांख्यिकी विशेषज्ञों से हुई चर्चाओं के आधार पर विशेषज्ञों का मानना है कि कम उम्र में विवाह और बड़े परिवार अक्सर बेहतर स्वास्थ्य परिणामों और सामाजिक संतुलन से जुड़े होते हैं। उन्होंने कहा कि मनोवैज्ञानिकों ने उन्हें बताया है कि अधिक संतान होने से अहंकार (ईगो) को नियंत्रित करना सीखने में मदद मिल सकती है, जबकि जनसांख्यिकी विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि लंबे समय तक कम जन्म दर रहने से भविष्य में गंभीर जोखिम पैदा हो सकते हैं।

भागवत ने कहा कि भारत की वर्तमान प्रजनन दर लगभग प्रतिस्थापन स्तर के आसपास है और कई राज्य पहले ही इस स्तर से नीचे आ चुके हैं। हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि वह कोई नीतिगत सुझाव नहीं दे रहे हैं। उन्होंने स्वयं को एक अविवाहित प्रचारक बताते हुए कहा कि वह केवल विशेषज्ञों से प्राप्त जानकारी साझा कर रहे हैं।

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