SIR की समय-सीमा 31 दिसंबर तक बढ़ेगी? सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से याचिकाओं पर विचार करने को कहा
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केरल और उत्तर प्रदेश में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन—SIR) के लिए अधिक समय दिए जाने की मांग करने वाले याचिकाकर्ताओं को निर्वाचन आयोग (ECI) के समक्ष अपना प्रतिवेदन देने की अनुमति..
नयी दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केरल और उत्तर प्रदेश में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन—SIR) के लिए अधिक समय दिए जाने की मांग करने वाले याचिकाकर्ताओं को निर्वाचन आयोग (ECI) के समक्ष अपना प्रतिवेदन देने की अनुमति दे दी। अदालत ने कहा कि चुनाव आयोग इन अनुरोधों पर 31 दिसंबर तक फैसला करेगा।
मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्य बागची की पीठ ने यह निर्देश विभिन्न राज्यों में चल रहे SIR अभ्यास को चुनौती देने वाली और गणना (एन्यूमरेशन) प्रक्रिया को पूरा करने के लिए अतिरिक्त समय की मांग करने वाली याचिकाओं के एक समूह की सुनवाई के दौरान दिया।
CJI सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि वह 31 दिसंबर तक इन प्रतिवेदनों पर निर्णय ले और इसकी रिपोर्ट शीर्ष अदालत को सौंपे।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने केरल में SIR प्रक्रिया के दौरान मतदाताओं के नाम बड़े पैमाने पर हटाए जाने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, “करीब 25 लाख नाम हटा दिए गए हैं। कई मामलों में पति का नाम सूची में नहीं है, लेकिन पत्नी का नाम है। जब अधिकारी इस विसंगति को देखते हैं, तो वे पत्नी का नाम भी हटा देते हैं।”
सिब्बल ने यह भी बताया कि राज्य में गणना चरण की अंतिम तिथि 18 दिसंबर थी।
पीठ ने कहा, “चुनाव आयोग तीन सप्ताह के भीतर जवाब दे।” साथ ही यह भी कहा कि निर्वाचन आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी 6 जनवरी 2026 से आयोग की ओर से अपनी दलीलें प्रस्तुत करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने एक अलग याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया, जिसमें गणना चरण के दौरान स्वयंसेवकों के साथ गोपनीय डेटा साझा किए जाने को लेकर चिंता जताई गई थी।
डेटा सुरक्षा पर सवाल उठाते हुए उस याचिका में तर्क दिया गया था कि प्रक्रिया में स्वयंसेवकों की भागीदारी के कारण नागरिकों का निजी डेटा निजी व्यक्तियों के साथ साझा किया गया।
गौरतलब है कि बिहार पहला राज्य था, जहां विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया 24 जून 2025 से शुरू हुई। इसके बाद छत्तीसगढ़, गुजरात, केरल, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, गोवा, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप और पुडुचेरी सहित 12 अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में भी यही सख्त प्रक्रिया फिलहाल चल रही है।
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