वक्फ अधिनियम में संशोधन ज़रूरी था: दुरुपयोग की चिंताओं के बीच बिहार के राज्यपाल का बयान

बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने शनिवार को वक्फ संस्थाओं के कामकाज की दोबारा समीक्षा की जरूरत बताई और कहा कि मौजूदा कानून में संशोधन आवश्यक था। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या लखनऊ में वक्फ संपत्तियाँ उस उद्देश्य की पूर्ति कर रही हैं जिसके लिए उन्हें बनाया गया था..

वक्फ अधिनियम में संशोधन ज़रूरी था: दुरुपयोग की चिंताओं के बीच बिहार के राज्यपाल का बयान
13-04-2025 - 02:51 PM

पटना। बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने शनिवार को वक्फ संस्थाओं के कामकाज की दोबारा समीक्षा की जरूरत बताई और कहा कि मौजूदा कानून में संशोधन आवश्यक था। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या लखनऊ में वक्फ संपत्तियाँ उस उद्देश्य की पूर्ति कर रही हैं जिसके लिए उन्हें बनाया गया था — यानी जनकल्याण, विशेष रूप से ग़रीबों, विधवाओं और बुज़ुर्गों की मदद।

नेशनल पीजी कॉलेज में पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने पूछा, “वक्फ क्या है? वक्फ का अर्थ है दान, ऐसा कुछ जो परोपकार के लिए दिया गया हो। कितने परोपकारी संस्थान हैं? क्या कोई अस्पताल है? क्या लखनऊ में वक्फ के ज़रिए कोई बड़ा शैक्षणिक संस्थान चलाया जा रहा है?”

उन्होंने आगे कहा, “जब वक्फ संपत्तियों के उद्देश्य ही भटक जाएँ तो क्या कहा जाए? आप कहते हैं कि यह धार्मिक मामला है, लेकिन धर्म भी तो कहता है कि वक्फ की संपत्ति ज़रूरतमंदों की मदद के लिए होती है। अगर ऐसा नहीं हो रहा, तो यह एक बीमारी है — और अगर यह बीमारी है, तो इसका इलाज ज़रूरी है। मेरा मानना है कि संशोधन आवश्यक था।”

राज्यपाल ने कॉलेज का उदाहरण देते हुए एक सवाल उठाया, “अगर इस कॉलेज में शिक्षा की जगह कोई खाने-पीने का व्यापार शुरू हो जाए तो क्या लोग उसे स्वीकार करेंगे?”

उन्होंने बताया कि उन्होंने एक समय उत्तर प्रदेश को बहराइच से जनप्रतिनिधि के रूप में बहुत करीब से देखा है। “अब मैं एक संवैधानिक पद पर हूँ, इसलिए यहाँ कम आना होता है। लेकिन बदलाव और विकास के लिहाज़ से देखा जाए तो यह राज्य एक नया अध्याय लिख रहा है। स्कूल बेहतर हुए हैं, हाईवे और सड़कों का विस्तार हुआ है, जिससे आवागमन आसान हुआ है। ये सब विकास के संकेत हैं,” खान ने कहा।

केरल के राज्यपाल के रूप में अपने अनुभव (2019 से 2024) का ज़िक्र करते हुए खान ने कहा कि उन्होंने वहाँ शिक्षा में राजनीतिक हस्तक्षेप को कम करने की कोशिश की थी। साथ ही उन्होंने बिहार की शिक्षा व्यवस्था को लेकर चिंता जताई और कहा कि इसमें अभी और काम करने की ज़रूरत है।

उन्होंने कहा, “बिहार में बहुत सुधार की ज़रूरत है। बच्चे बेहतर शिक्षा के लिए राज्य छोड़ने को मजबूर हैं। मैं कोशिश करूंगा कि सिर्फ़ शिक्षा की खराब गुणवत्ता के कारण बच्चों को राज्य न छोड़ना पड़े।”

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THE NEWS THIKANA, संपादकीय डेस्क यह द न्यूजठिकाना डॉट कॉम की संपादकीय डेस्क है। डेस्क के संपादकीय सदस्यों का प्रयास रहता है कि अपने पाठकों को निष्पक्षता और निर्भीकता के साथ विभिन्न विषयों के सच्चे, सटीक, विश्वसनीय व सामयिक समाचारों के अलावाआवश्यक उल्लेखनीय विचारों को भी सही समय पर अवगत कराएं।